उड़ने वाला कछुआ
एक जंगल में तीन मित्र रहते थे । जिसमें एक कछुआ और दो हंस थे। उनकी आपस में गहरी दोस्ती थी । वे तीनों मिलकर दिनभर खूब मस्ती करते थे। शाम होते ही अपने अपने घर चले जाते थे। कछुआ तालाब में रहता था। जबकि हंस तालाब के किनारे पर रहते थे। एक बार जंगल में सूखा पड़ गया ।दूर-दूर तक कोई वर्षा नहीं हुई । अब जंगल के सभी जीव तालाब का पानी पीने लगे जिससे कि वह तालाब भी सूखने लगा । अब हंसों ने दूसरे जंगल में एक तालाब खोज लिया। वे अब उस तालाब में भोजन के लिए जाने लगे और दिन भर वहीं रहते । शाम होते ही वह कछुए के पास लौट आते । अब उन हंसों को अपने मित्र कछुए की चिंता हुई क्योंकि कछुआ उड़कर उनके साथ नहीं जा सकता था । ऐसे ही दिन बीतने लगे अब तालाब का पानी कुछ ही दिन के लिए शेष रह गया । वह तीनों मित्र इस समस्या के बारे में सोचते रहते थे ।अब दोनों हंसों को एक युक्ति सूझी।
कछुआ और दो हंस
क्यों ने हम कछुए को भी अपने साथ लेकर उड़ जाए । उन्होंने यह युक्ति कछुए को भी बताई। जिसे सुनकर कछुआ बहुत खुश हो गया ।उन्होंने कहा कि हम दोनों एक लकड़ी के दोनों सिरों को अपनी चोच में पकड़ लेंगे और कछुआ लकड़ी को बीच में से पकड़ लेगा । उन्होंने कछुए को बोला तुम्हें उड़ान के वक्त अपना मुंह बंद रखना होगा , नहीं तो तुम बीच में ही गिर जाओगे । कछुए ने कहा कि मैं बिल्कुल भी नहीं बोलूंगा।
अब कछुए ने उस लकड़ी को अपने मुंह से कसकर पकड़ लिया । दोनों हंसों ने वह लकड़ी अपनी चोच में दबाई और उड़ गए।
रास्ते में एक नगर था । कछुए को आकाश में उड़ते हुए देखकर लोगों ने आश्चर्य से कहा , “ देखो कछुआ आकाश में उड़ रहा है “ लोगों ने कछुए की तारीफ करना शुरू कर दिया । अपनी तारीफ सुनकर कछुआ अपना वादा भूल गया ।
कछुए ने जैसे बोलने के लिए अपना मुंह खोला वह आसमान से जमीन पर धड़ाम से गिरा और मर गया ।
सीख : हम सभी को (अपनी स्थिति के अनुसार) अपनी चंचलता को अपने वश में रखना चाहिए ।
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शिकारी और कबूतर /The Hunter and Pigeon /Panchtatra /2020
पुराने समय की बात है जंगल के पास एक शिकारी रहता था । वह बहुत निर्दई था पक्षियों को मारकर खाना ही उसका काम था। उसके इस पाप कर्म को देखकर उसके परिवार वालों ने उसका त्याग कर दिया था। अब वह अकेला ही रहता था । वह हाथ में जाल और अपनी लाठी लेकर जंगल में घूमता रहता था।
एक दिन उसके जाल में एक कबूतरी फस गई । कबूतरी ने निकलने का बहुत प्रयास किया। लेकिन वह सफल नहीं हो सकी । जब शिकारी कबूतरी को लेकर अपने घर की ओर चल दिया तब रास्ते में मूसलाधार वर्षा आरंभ हो गई । सर्दी का मौसम था । शिकारी ठंड से कांपने लगा । शिकारी ने देखा पास में ही पीपल का पेड़ है जिसमें खोल बना हुआ है । शिकारी ने खोल में घुसते हुए कहा जो यहां रहता है मैं उसकी शरण मैं जाता हूं। इस समय जो मेरी सहायता करेगा उसका मैं जीवन भर ऋणी रहूंगा। उस खोल मैं वही कबूतर रहता था जिसकी कबूतरी को शिकारी ने पकड़ा था। कबूतर उस समय पत्नी के वियोग में बहुत तड़प रहा था
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